गौतम बुध नगर में कोरोना पर भारी पड़े शराब के शौकीन लोग

*नोएडा ,गौतमबुद्ध नगर ,कोरोना वायरस पर भारी पड़े शराब के शौकीन, टूटे पुराने रिकॉर्ड, जाम छलकाने में खर्च किए 94 करोड़ -*


कोरोना वायरस की महामारी से सामान्य जनजीवन अस्त-व्यस्त रहा। कारोबार पर बंदी का दुष्प्रभाव गहरा पड़ा है। लेकिन गौतमबुद्ध नगर में लॉकडाउन-कोरोना और नाइट कर्फ्यू के बावजूद निवासियों ने करीब एक अरब रुपये की शराब का सेवन किया है। जबकि जनपद में 11 मई के बाद ठेके खोले गए। शराब की दुकानों को सीमित समय के लिए खोलने की मंजूरी मिली थी। बावजूद इसके शराब का नशा लोगों के सर चढ़कर बोला। 

*10 लाख लीटर देसी शराब की बिक्री हुई*

गौतमबुद्ध नगर के जिला आबकारी अधिकारी राकेश बहादुर सिंह ने बताया कि कोरोना बंदिशों के बावजूद जनपद में मई महीने में करीब 94 करोड़ रुपये की शराब की बिक्री हुई है। हालांकि 11 दिन बंद रहने और बाद में निर्धारित समय से दुकानें खुलने का असर दिखाई दिया है। पिछले साल इस महीने के मुकाबले इस वर्ष मई में राज्य सरकार को कुल 31 फीसदी ज्यादा राजस्व हासिल हुआ है। बीते महीने जनपद में 10 लाख लीटर देसी शराब की बिक्री हुई। 

*17 लाख कैन बिकीं*

विदेशी मदिरा ने भी खरीदारों को खूब लुभाया। पिछले महीने जनपद में विदेशी शराब की कुल 10 लाख 60 हजार बोतलें बिकीं। हमेशा की तरह बीयर एक बार फिर सबसे आगे रही। जनपद में मई में बीयर की 17 लाख कैन की ब्रिकी हुई। जिला आबकारी अधिकारी ने बताया कि मई के तीसरे हफ्ते तक बिक्री सामान्य से कम रही। मगर महीने के आखिरी हफ्ते में कोरोना कम होने से शराब की बिक्री बढ़ी और एक सप्ताह में सारे रिकॉर्ड टूट गए।

*80 करोड़ की बिक्री होती है*

कोरोना वायरस संक्रमण के फैले जानलेवा जाल के चलते गौतमबुद्ध नगर में लॉकडाउन, कोरोना और नाइट कर्फ्यू लागू है। सिर्फ इमरजेंसी और आवश्यक सेवाओं से जुड़ी दुकानें खोलने और लोगों को आवाजाही की अनुमति है। इस वजह से ठेके और शराब की दुकानें भी बंद रहीं। 11 मई को निर्धारित समय तक मदिरा शॉप खोलने की अनुमति मिली। इसके बाद दुकानों के बाहर शराब के शौकीनों की लंबी लाइनें लग गईं। हर ठेके के बाहर भारी भीड़ जुटी। कम दिनों और निर्धारित सीमित समय तक खुलने के बावजूद महज 30 दिनों में बिक्री के सारे पुरान रिकॉर्ड टूट गए। अधिकारी ने बताया कि सामान्य दिनों में जनपद में हर महीने 75-80 करोड़ की शराब बिकती है। औसतन 2.5 करोड़ रुपये की शराब की सेल जनपद में रोजाना होती है।

*देसी मदिरा से मिलता है ज्यादा रेवेन्यू*

जनपद में देसी मदिरा की सेल से राज्य सरकार को सबसे ज्यादा राजस्व मिलता है। हालांकि इसका उपभोग खास वर्ग के लोग ही करते हैं। आबकारी विभाग के मुताबिक देसी मदिरा की सबसे ज्यादा खपत लेबर और कामगार वर्ग के निवासी करते हैं। लॉकडाउन की वजह से इस वर्ग ने पलायन कर लिया था। इस वजह से सेल में गिरावट आई। लेकिन अब हालात धीरे-धीरे सामान्य हो रहे हैं। लेबर और कामगार वर्ग वापस जनपद लौट रहे हैं। इससे देसी शराब की बिक्री में इजाफा हुआ है।

*कम दिन और निर्धारित समय के बावजूद टूटे रिकॉर्ड*

11 मई को शराब की दुकानें खुलनी शुरू हुईं। शुरुआत में सिर्फ 3-4 घंटे दुकानें खुलीं। फिलहाल जनपद में सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक ठेके और मदिरा की शॉप खुल रही हैं। जबकि सामान्य परिस्थितियों में सुबह 11 बजे से रात 10 बजे तक शराब की बिक्री होती है। इस वक्त सिर्फ दुकानें खुल रही हैं। सभी रेस्त्रां, पब और मनोरंजन के दूसरे साधन बंद हैं। इन जगहों पर भी मदिरा का काफी सेवन होता है। बावजूद इसके शराब शौकीनें के सिर चढ़कर बोली। 

*दिल्ली बॉर्डर से सटी दुकानों पर ज्यादा बिक्री हुई*

वैसे तो पूरे जनपद के दुकानों पर मई में शराब की बिक्री सामान्य से ज्यादा हुई है। लेकिन दिल्ली बॉर्डर से सटे क्षेत्रों की दुकानों पर खरीदारों की भारी भीड़ जमा रही। नोएडा सेक्टर-15 के ठेकों पर लंबी लाइन देखी गई। जिला आबकारी अधिकारी ने बताया कि शहर के अंदर की दुकानों और मॉडल शॉप पर ठीक-ठाक सेल हुई। मगर दिल्ली की सीमा से सटे मॉडल शॉप पर रिकॉर्ड टूटे। दरअसल दिल्ली में संपूर्ण लॉकडाउन था। इस वजह से शराब की दुकानें बंद थी। नशे के आदि लोगों के लिए बॉर्डर से सटे नोएडा में शराब आसानी से उपलब्ध हो रही थी। इसलिए दिल्ली के लोगों ने भी नोएडा आकर शराब खरीदी।

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